फरवरी में जब नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे तो एफ 35 भारत को चिपकाने की कोशिश की गई थी। वो तो भला हो भारत जिस तरीके से अपनी डील करता है। टाइम लेता है। हर चीज के बारे में पॉजिटिव-निगेटिव पहलू पर गौर करता है। वो तस्वीर तो आप भूले नहीं होंगे जब केरल के एयरपोर्ट पर लगभग 37 दिन अमेरिका का ये एफ 35 खड़ा रहा और दो हफ्ते बाद इसे हैंगर में ले जाने की अनुमति दी गई। लेकिन अब ताश के पत्तों की तरह अमेरिका का एफ 35 लगातार ढेर हो रहा है। ये खुद से ही कहीं भी खड़ा रहा है। जापान में भी इसके लैंड करने की खबर आई। इन सब को ध्यान में रखते हुए भारत ने एक बड़ा फैसला लिया है। अमेरिका जिस चीज के लिए भारत को धमकी दे रहा है। पीएम मोदी वही कर रहे हैं। पीएम मोदी न तो ट्रेड डील पर अमेरिका से डरे और न ही रूसी तेल चेतावनी पर कोई फर्क भारत को पड़ा। अब तो अमेरिका की धमकी के बावजूद पीएम मोदी ने एक ऐतिहासिक फैसला ले लिया है। ये फैसला पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और उनमें लगने वाले इंजन को लेकर लिया है। अमेरिका को बड़ा झटका देते हुए फ्रांस ने भारत के साथ मिलकर फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट का इंजन बनाने का ऐलान किया है। ये ऐसी खबर है जिसने अमेरिका में भूचाल ला दिया है। फ्रांस की मदद से अब फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन भारत में ही बनेगा। फ्रांस इस इंजन की पूरी टेक्नोलॉजी भारत को देगा। यानी मेक इन इंडिया के तहत फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट इंजन की पूरी टेक्नोलॉजी भारत को ट्रांसफर की जाएगी। यानी इसका सीधा सा मतलब है कि भारत अब खुद का पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान एमका यानी एडवांस मीडियल कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट भी बनाएगा और एमका का इंजन भी खुद ही बनाएगा।

आपको बता दें कि अभी सिर्फ चार देश की फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट के इंजन बना पाए हैं। इनमें रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल है। लेकिन अब फ्रांस ने ऐलान कर दिया है कि वो भारत को अपनी टेक्नोलॉजी देगा। ये खबर कितनी बड़ी है उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चीन जैसा देश भी पिछले 20-25 सालों में अरबों डॉलर से ज्यादा पैसा खर्च करने के बावजूद भी पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का इंजन 100 फीसदी कामयाबी से नहीं बना पाया है। चीन भी रूस के इंजन को मोडिफाई करके अपने फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स में लगा रहा है। लेकिन ये इतने सफल नहीं हैं। फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट का इंजन बनाना टेक्नोलॉजी का माउंटएवरेस्ट है। एक फाइटर जेट इंजन 50 हजार फीट की ऊंचाई पर काम करता है। ऊंचाई पर माइनस 50 डिग्री टेम्परेचर पर फाइटर जेट के इंजन को 2000 डिग्री सेंटीग्रेट पर फ्यूल जलाना होता है। ताकी लड़ाकू विमान आगे बढ़ सके। फाइटर जेट तेजी से ऊपर नीचे होता है। कभी अपनी स्पीड बढ़ाता है तो कभी अपनी स्पीड को कम कर लेता है। ऐसे में इतना प्रेशर झेलने के लिए इंजन बनाना आसान बात नहीं है।

ये खबर अमेरिका के लिए इसलिए भी बड़ा झटका है क्योंकि अमेरिका हमेशा से फाइटर जेट इंजन को लेकर भारत को ब्लैकमेल करता आया है। भारत जो तेजस लड़ाकू विमान बना रहा है उसका इंजन अमेरिका में बनता है। लेकिन पिछले दो सालों से जानबूझकर तेजस लड़ाकू विमानों के इंजन देने में देरी कर रहा है। अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है कि तेजस लड़ाकू विमानों के इंजन तभी मिलेंगे जब भारत सरकार अमेरिका का एफ 35 फीफ्थ जेनरेशन लड़ाक विमान खरीदेगा। लेकिन अब अमेरिका की कोई ब्लैकमेलिंग काम नहीं आएगी। भारत अब अपना ही फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट बना रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Call Now