एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले बहुप्रतीक्षित मुकाबले से पहले देश दो खेमों में बंट गया है। पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के कारण इस मैच को लेकर देशभर में कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई राजनेता और नागरिक इस मुकाबले के खिलाफ हैं।
ओवैसी का सरकार पर निशाना
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मैच को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जिस पाकिस्तान ने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों को मार डाला, उसके साथ क्रिकेट मैच खेलने से इनकार करने का अधिकार सरकार के पास क्यों नहीं है? ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या इस मैच से होने वाली कमाई, ‘हमारे 26 नागरिकों की जान से ज्यादा कीमती है?’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने बयान को याद दिलाते हुए ओवैसी ने कहा, ‘जब आपने कहा था कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते, बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं हो सकते, तो क्या बीसीसीआई को मिलने वाले 2000-3000 करोड़ रुपये का महत्व हमारे 26 नागरिकों की जान से ज्यादा है?’
विपक्षी नेताओं का विरोध
कई विपक्षी नेताओं ने भी इस मैच का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) की महिला कार्यकर्ताओं ने मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी मांग को अनोखे तरीके से पेश करते हुए कहा कि वे हर घर से प्रधानमंत्री को ‘सिंदूर’ भेजेंगी। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी महिला कार्यकर्ता इस मैच का विरोध करते हुए सड़कों पर उतरेंगी। यह विरोध इस बात पर जोर दे रहा है कि सुरक्षा और राष्ट्रीय सम्मान आर्थिक लाभ से अधिक महत्वपूर्ण हैं।